तुम्हारा
हँसना/मुस्कुराना/रूठना
संजना/संवारना
बारिश में भीग-भीग जाना
तुम जानती हो
तुम्हारी दिनचर्या के इन पलों में
कितने शब्द उभर आते हैं
तुम्हारी देह में
तुम्हारे
इन पलों से
कितने शब्द चुराकर
मैंने लिखी है
जाने कितनी कवितायेँ
असमंजस में हूँ
रचयिता में
किसका नाम लिखूँ
मेरा
या तुम्हारा
हँसना/मुस्कुराना/रूठना
संजना/संवारना
बारिश में भीग-भीग जाना
तुम जानती हो
तुम्हारी दिनचर्या के इन पलों में
कितने शब्द उभर आते हैं
तुम्हारी देह में
तुम्हारे
इन पलों से
कितने शब्द चुराकर
मैंने लिखी है
जाने कितनी कवितायेँ
असमंजस में हूँ
रचयिता में
किसका नाम लिखूँ
मेरा
या तुम्हारा
आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
ReplyDeleteशनिवार 19/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
धन्यवाद!
धन्यवाद यशोदाजी
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
बहुत सुंदर..
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