मैंने
कागज पर लकीरें खींची
डाल बनायी
पत्ते बनाये
अब कागज पर
चित्र -लिखित सा पेड़ खड़ा है
पेड़ ने कहा
'यह मैं हूँ
मुझ पर काले अक्षरों की दुनिया रचकर
किसे बदलना चाहते हो '
मैंने
रंगों से कपड़े में
कुछ लकीरें खींची
डाल बनायीं
पत्ते बनाए
अब
कपड़े पर छपा पेड़ है
पेड़ ने कहा
'यह मैं हूँ
मुझे नंगा कर
किसे ढंकना चाहते हो
'यह जो तुम हो
पेड़ ने कहा
यह भी मैं हूँ
साँसों पर रोक लगाकर
किसे जीवित रखना चाहते हो '
कागज पर लकीरें खींची
डाल बनायी
पत्ते बनाये
अब कागज पर
चित्र -लिखित सा पेड़ खड़ा है
पेड़ ने कहा
'यह मैं हूँ
मुझ पर काले अक्षरों की दुनिया रचकर
किसे बदलना चाहते हो '
मैंने
रंगों से कपड़े में
कुछ लकीरें खींची
डाल बनायीं
पत्ते बनाए
अब
कपड़े पर छपा पेड़ है
पेड़ ने कहा
'यह मैं हूँ
मुझे नंगा कर
किसे ढंकना चाहते हो
'यह जो तुम हो
पेड़ ने कहा
यह भी मैं हूँ
साँसों पर रोक लगाकर
किसे जीवित रखना चाहते हो '
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 20/07/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव एवं प्रस्तुती।
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