मेरी
कुछ गलतियाँ थी
सवाल मैंने सोच रखे थे
और
सामना होने पर भी
पूंछ नहीं पाया
पूंछना था
दिये से
क्या तुम्हें जानते हो
तुम्हारे अपने तले में अँधेरा है
जवाब -नामालूम
आसमान से
क्या तुम जानते हो
मात्र शून्य है तुम्हारा अस्तित्व
हवा से
क्या तुम जानते हो
तुम्हारा अपना कोई घर नहीं
आग से
क्या तुम जानते हो
तुम किसी के
कृपापात्र नहीं हो सकते
फिर स्वयं से
क्या तुम जानते हो
कि तुम इन्सान हो
आदमी /व्यक्ति हो
और फिर भी
आदमी की परिधी से
बाहर निकलने की कोशिश करते हो
और नकार दिये जाते हो
कभी पीठ पीछे
कभी मुँह पर
जवाब
मेरे बस में था
पर सब की तरफ से
मैं मौन था
कुछ गलतियाँ थी
सवाल मैंने सोच रखे थे
और
सामना होने पर भी
पूंछ नहीं पाया
पूंछना था
दिये से
क्या तुम्हें जानते हो
तुम्हारे अपने तले में अँधेरा है
जवाब -नामालूम
आसमान से
क्या तुम जानते हो
मात्र शून्य है तुम्हारा अस्तित्व
हवा से
क्या तुम जानते हो
तुम्हारा अपना कोई घर नहीं
आग से
क्या तुम जानते हो
तुम किसी के
कृपापात्र नहीं हो सकते
फिर स्वयं से
क्या तुम जानते हो
कि तुम इन्सान हो
आदमी /व्यक्ति हो
और फिर भी
आदमी की परिधी से
बाहर निकलने की कोशिश करते हो
और नकार दिये जाते हो
कभी पीठ पीछे
कभी मुँह पर
जवाब
मेरे बस में था
पर सब की तरफ से
मैं मौन था